Thursday, July 13, 2017

आप किसी भी देश का इतिहास उठा कर देख लिजिए,अगर किसी देश में गृह युद्ध होता हैं तो उससे भला किसी का नहीं हुआ..आज भारत में जो हालात हैं वो इसे गृह युद्ध की तरफ लेकर जा रहे हैं....हर मुद्दे को हिंदु ,मुस्लमान और दलित का नाम दे दिया जाता हैं..हाल ही में  अमरनाथ यात्रियों पर हुआ हमला एक कायरतापूर्ण कृत्य हैं पर इस पर भी राजनीति..ड्राइवर हिंदु था या मुस्लमान,और अमरनाथ यात्रियों पर हमला क्यू हज यात्रियों पर क्यू नहीं..अरे हमला हज यात्रियों पर हो या अमरनाथ यात्रियों पर..हमला तो हमला हैं..क्या अमरनाथ यात्रा के दौरान जो बेकसूर लोग मरे वो नाकाफी हैं जो अशांति का और भी माहौल बनाया जा रहा हैं..किसी ने अपने परिवार को खोया हैं पर हम उसे सांप्रदायिक रंग देने में लगे हैं..वहीं दूसरा मामला बीफ को लेकर हैं..कुछ राज्यों में बीफ बैन हैं और अगर कोई बीफ का कारोबार करता हैं या खाता हैं तो वो गैर कानूनी हैं पर भीड़ का बेकाबू होना कितना जायज हैं..अगर आपको शक भी हैं तो पुलिस को रिपोर्ट कीजिए ..कुछ दिन पहले आफिस में यूं ही बैठे बैठे मैने अपने सहकर्मियों से पूछा कि आप तो नान वेज भी खा लेते हो जिसमें चिकन,मटन,सी फूड भी आता हैं..क्या आप एक बार में देखकर ये बता सकते हो कि ये चिकन हैं,मटन हैं या फिश हैं..तो ज्यादातर लोगों का कहना था ,''नहीं बस सी फूड का पता चल जाता हैं क्यूकि वो काफी स्ट्रांग स्मेल होती हैं वरना नहीं पता चलता देख कर "तो सवाल ये उठता हैं कि कई जगह जब ऐसे मामले सामने आते हैं कि बीफ के शक में मारा या पिटा और भीड़ बेकाबू हो गई तो..उस भीड़ को पता कैसे चलता हैं कि बीफ ही हैं..मैने कुछ चैनल्स और न्यूज पेपर में भी देखा हेडलाइन होती हैं कि बीफ ले जाते युवक को पीटा..अरे भाई फोरेंसिंक लैब की रिपोर्ट आने में भी कम से कम 12 घंटे लग जाते हैं तो कैसे दावा कर सकते हैं कि ये बीफ ही हैं..वहीं जब बीफ बैन हैं भाई तो मत खाइए,क्या आप मर जाएंगे बीफ ना खाएंगे तो ..और भी तो कितने विकल्प हैं..वैसे जो हालात सोशल मिडिया और न्यूज चैनल्स और न्यूज पेपर्स में देखने को मिल रहा हैं उससे तो लगता हैं जैसे गृह युद्ध के हालात हो गए हैं और किसी भी पल ये लड़ाई शुरु हो सकती हैं..पर आप 2 दिन टीवी और इंटरनेट से दूर रहिए ,बस छत्त पर जाइए बाहर देखिए और चाय की चुस्की लीजिए आपको क्या दिखेगा ?मुझे तो बाहर गली में गार्ड अंकल दिखते हैं,आते जाते लोग..छोटे छोटे बच्चे खेलते हुए दिखते हैं..फिर सोचती हूं हालात तो सामान्य हैं...और ये जो हाथ में लाठियां लेकर माहौल खराब करने वाले लोग हैं ये बेहद कम हैं...फिर भी हमारी सोच पर इतने भारी क्यूं होते जा रहे हैं..एक सलाह हैं चाहे मानों या मानों वो आप पर हैं..जब भी ऐसी खबरे देख कर खून खौले तो बस अपने परिवार की तरफ देखिए और सोचिए..आप के लिए जरूरी कौन हैं..और आप चाहे किसी भी धर्म के हो सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दूसरे धर्म के बारे में बुरा लिखने से बचिए और शेयर करने से भी बचिए..


(मैं खुद एक ऐसे समाज(बिश्नोई) से आती हैं जहां जीव रक्षा का पाठ पढाया जाता हैं ..पूरे जीवन काल में अब तक नान वेज की बात की जाए तो आसपास भी नहीं फटका...मुझे तो बचपन से  हर जीव की रक्षा करना सिखाया हैं उसमें गाय भी आती हैं,बैल भी आता हैं मुर्गा भी और बकरा भी..इसलिए किसी धर्म विशेष के साथ जोड़ कर ना देखा जाए.... )